कौन सा देश बावले?
कौन सी सीमायें?
ये झण्डूओं जैसी बातें
तुम कहाँ से हो लाये?
ओ बावलीबूच ऐसे मत बोल!
अंदर हो जाओगे
ऐसे-ऐसे, कैसे-कैसे विवाद
क्यों खामखाँ में लेते हो?
तुम्हें किसीने बताया नहीं क्या?
ये झंडे के पीछे का बवाल क्या है?
इस बार 15 अगस्त को ऐसा ख़ास क्या है?
झंडू और झंडे का ये विवाद क्या है?
अरे 15 नहीं "तेरा से पंद्रह"
हर घर तिरंगा
हर गली तिरंगा
हर चौराहा और ऑफिस तिरंगा
अरे छोड़ तू बिल्ला, छोड़ तू रंगा
हर काण्ड पे है ये झंडू गंगा
इस काण्ड पे झंडू है एक ढक्कण
उस काण्ड पे खाट खड़ी है
और मातम पे फिरसे ढका है --
अब तू ही बोल "झंडू ढका है या है झंडा"?
ये देश, ये जहाँ, ये समाज़ वो कहाँ?
जो पढ़ा था, सुना था, देखा था
रग-रग में लहू-सा,
देश का जो जज़्बा दौड़ता था
इन सीमाओं की हक़ीक़त
इन वर्दियों के जलवे
इन कुर्शियों की रस्साकस्सी
"इवेंट्स एंड मैनेजमेंट ऑफ़ मास्सेस"
के सिवाय कुछ भी तो नहीं
बस इतना-सा जानने के बाद
तुम चाहे, ए मेरे वतन के लोगो सुनना
या सुनना वन्दे मातरम
न वो खून दौड़ेगा देशभक्ति का
न किसी देश का हिस्सा पाओगे खुद को
बस खुद को ठगा-सा महसूस करोगे
एक upper-strata के जालों-निवालों में
कौन UNO है, कौन है WHO?
कौन हैं ये देश?
क्या और कैसी हैं सीमायें इनकी?
और कौन हैं रखवाले इनके?
किसके लिए मरते, कटते ?
ये गुप्तचर विभाग?
क्या कुछ हैं ये करते?
कैसे हैं युद्ध ये, कैसे संधि विच्छेद?
झंडू और झंडे का विवाद
बस इन्हीं जालों और जंजालों का
छोटा-सा हिस्सा भर है
यही वो हिस्सा है
जो हमसे आगे पीढ़ियों को पढ़ना है
officially या unofficially
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