Search This Blog

राजनीती के सर्कष में मैडिकल-इमरजेंसी!

राजनीती के सर्कष में मैडिकल-इमरजेंसी!

Friday, October 1, 2021

छोटी-छोटी सी खुशियाँ

 छोटी-छोटी सी खुशियाँ और बड़े-बड़े से गम? 

या सुकून भरी ज़िंदगी में खामखाँ की खुंदके?

उस जगह को कुछ वक़्त के लिए कहो अलविदा 

और देखो गुल होते हैं झमेले और गम कैसे कैसे!


काँव-काँव करते इन्सानों के बीच, या 

चौसर के गुट्टे बजाते, जुआरियों के यहाँ 

दिमाग-ओ-दिल तो उलझे होते हैं चालों में, घातों में 

घर हो या फिर ऑफिस, ऐसी जगह सुकून कहाँ?


 ऐसी जगह लोगों के पास, जिंदगियों को सवारने को 

किसी को बाँटने या देने को कुछ नहीं होता 

सिवा जाहिलपन, झूट-कपट, मक्कारी, दासता के सिवा 

ऐसे लोग और ऐसी जगहें खा जाती हैं, हर अच्छाई को!


ऐसे लोगों और ऐसी जगहों के बीच रहकर 

बड़े-बड़े सुरमे कालिख हो जाते हैं 

और महाकालीख बनते हैं, राजे-महाराजे!

तो चैन-ओ-सुकून ऐसे कीचड़ में नहीं, है उससे दूर कहीं!


बहुत दूर भी नहीं, आस-पास ही है वो सब 

वो इन्सान, जगहें, चैन-ओ-सुकून और आराम 

ग़र ज्यादा न मची हो हाय-तौबा, तो -- 

थोड़ा सा परे, राजनीती के गलियारों के झोंके-से!

No comments:

Post a Comment