जुआरी है क्या भगवान?
शिकारी है क्या भगवान?
भगवान को पैसे चाहियें?
भगवान को भी घर चाहिए?
सिर पे एक छत चाहिए?
कपड़े भी चाहियें?
खाना भी चाहिए?
और क्या-क्या चाहिए?
तुम्हारे इन भगवानों को?
इंसानो से ही क्यों चाहिए?
वो जो भगवान है
उसके पास अपना कुछ नहीं है?
तुम्हारा भगवान भिखारी है क्या?
अगर नहीं
तो क्या वो रिश्वत लेता है इंसानों से?
फिर कैसा भगवान?
कैसे मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे, गिरजाघर?
मँगतों ने जैसे खोल ली हों दूकान
कमाने के खोल लिए हों धंधाघर!
भगवान का घर
या मंदिर, मस्जिद गुरूद्वारे, गिरजाघर वो
जहाँ जो चाहो, वो पाओ
और अपना मानकर अपने घर ले आओ
भगवान के नाम पे बनी
इन भिखारी धंधे की दुकानों को आग लगाओ!
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