शुभ-अशुभ का सत्यानाश!
क्या कायरों का यही है इलाज़?
वो झुण्ड बनाकर वॉर करते हैं
झुण्ड बनाकर अत्याचार करते हैं
साहबों की सलामी वाले लोग
सुबह-शयाम, दिन-रात
बकबक करने वाले लोग
इतने असाहय और कायर लोग!?
अरे झुण्ड वालो!
सुबह-श्याम, दिन-रात, बकबक वालो
झूठ को सच, सच को झूठ बनाने वालो
झुण्ड बनाकर, प्रदुषण का, पटाखों का
इलाज न कर पाने वालो
तुम्हे ज़ाहिल-गँवार कहूं या गुंडे-मवाली?
ये असाहय होने का चोला उतारो
और रच डालो कोई नया काण्ड
कोई नया ईलाज!
ETHICS!
(Pic taken from internet)
Not for everyone to understand. As most do not know who are these bhands and bakbak log and what kinda pollution and crackers they are crying!
By the way what's this shubh and ashubh? Politics influence and decide that. Then be it our fests or any other such occassion. I stopped celebrating bhands decided poisionous shubh-ashubh. My fests, my shubh-ashubh will be my decision and my choice!
This is known as "Cancel Enforced Shubh-Ashubh!"
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