फ़र्जी बीमारी की ओट में छिपे
कोड्स (Codes) कोढ़ बन गए हैं
आम जनता के लिए
आम आदमी को उन्हें समझने की जरुरत है
जैव आतंक (Codes) भी अपने आप नहीं फैलता
उसे एक मशीन चाहिए फैलने के लिए
जैसे चूल्हे में लकड़ियां खुद नहीं जलती
जंगल में आग खुद नहीं लगती
ऐसे ही प्रचार-प्रसार भी चाहिए होता है
आम आदमी को गुमराह कर, दहशत फ़ैलाने के लिए
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