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राजनीती के सर्कष में मैडिकल-इमरजेंसी!

राजनीती के सर्कष में मैडिकल-इमरजेंसी!

Monday, October 7, 2019

तुम ज़िंदा हो



तुम ज़िंदा हो अगर
गुट और गटर की
राजनीति से बाहर हो

तुम ज़िंदा हो जो सालों दर साल
खुद को नोचते-खाते हुए खेल को
आख़िरकार समझ पा रहे हो

कुर्शियों के पीपाशु 
माया चकर्वयुह को
भेद पा रहे हो

झूठी शानो-शौकत
झूठे कर्मकांडियों के
व्यभिचार को देख पा रहे हो

जंग खुले सांड़ों से
और हंस रहे हो तुम?
तो ज़िंदा हो तुम!

तुम ज़िंदा हो

अगर राजे-महाराज़ों को भी
कटघरे में खड़ा करने लायक हो 

मूह में राम-राम 
बगल में छुरी
खंडके नासूरों के सिर पे


खुजराहों के व्यापारियों के
काम-काज को, राज को
पहचान पा रहे हो  

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