रंक कौन और राजा कौन?
सब नज़र का सवाल है
वो जो पहरेदारी करता है
या वो जो पहरे मैं जीता-मरता है
वो जो रोज भेष बदलता है
या वो जो बेखौफ़ चलता है?
कनीज़ कौन और कौन बादशाह?
सब नज़र का सवाल है
वो जो देता है बढ़ावा
डाल खाद रौज-रौज
और पनपाता है
अहंकारों की खरपतवार ऐसे
मानो कॉंग्रेस घास हो जैसे!
मारकर जमीर अपना
करता है सलामी सुबह-श्याम
कुछ काग़ज़ के, कुछ पीतल के
तमगो के लिये
या वो जिसे कोई फर्क ही नी पड़ता
की सामने है कौन
और चलता है अपनी ही मस्ती में!
वो जो, जीता है, मरता है
खोफ़ के सायों में
या वो जो बेखौफ़ है
संगीनों से, शाहो से
है बादशाह खुद में ही
और न जानता है, न मानता है
किसी अहंकारी की बादशाहत को!
रंक कौन और राजा कौन
सब नज़र का सवाल है
वो जो पहरेदारी करता है
या वो जो पहरे में जीता-मरता है
वो जो रोज भेष बदलता है
या वो जो बेखौफ़ चलता है?
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