मैं नंबरों का खेल नही हूँ
कि जब चाहे जिस नंबर पे
चाहे उछाल दोगे या पटक दोगे
मैं तुम्हारी सतरंज की बाज़ी भी नही हूँ
कि जब चाहे, जहाँ चाहे चल दोगे, मार दोगे
मेरा अपना एक अस्तित्व है
मेरी ज़िंदगी कोई तुम्हारे खेल का मोहरा नही
कि
जैसे चाहे, मुझे बिन बताए, मेरी मर्ज़ी के खिलाफ़
खेलोगे और चुपचाप निकल लोगे?